Wednesday 1 June 2016

क्या गंगा जल लोगो के घर तक पहुचना चाहिए

भारतीय सरकार ने गंगा जल को लोगो के घर बैठे देने का वादा किया है लेकिन हमारी सरकार ने ये नहीं सोचा की गंगा का पानी का लेबल पहले जितना है या नहीं गंगा जल उन लोगो को देने का वादा किया है जो लोगो घर के पानी की कदर नहीं करते वो लोग गंगा जल का पानी कैसे समभाल पाएंगे , गंगा का पानी भी खत्म होने की कगार पर है और हमारी सरकार गंगा को बचाने के बजाए और उसे खत्म करने में सहयोग कर रहे है

करोड़ों लोगो के लिए जीवनदायिनी गंगा पर एक नया कुदरती संकट खड़ा हो गया है. गंगा की धारा जिस गंगोत्री के गोमुख से निकलती है, वो बंद हो गया है. हालांकि पानी की धारा अविरल गंगा में आ रही है लेकिन इस घटना ने जानकारों  को भी हैरत में डाल दिया है. गोमुख ही वह जगह है जहां से गंगा निकलती है और हजारों किलोमीटर में फैली धरती की प्यास बुझाती है. गोमुख के आसपास पत्थरों के बीच गुजरती छोटी-छोटी धाराएं बन जाती है चौड़े पाट वाली ऐसी गंगा, जिसकी लहरों से लिखी गई है हमारी सभ्यता और संस्कृति की कहानी.

दरअसल गंगोत्री एक ग्लेशियर है और गोमुख इसी का एक हिस्‍सा है. जहां से बर्फ पिघलकर गंगा बनने के लिए आगे बढ़ती है. गोमुख पर लगातार रिसर्च करने वालों के मुताबिक इस बार ग्लेशियर का एक टुकड़ा टूटने की वजह से गोमुख बंद हो गया है. गंगोत्री नेशनल पार्क के डीएफओ ने भी इसकी पुष्टि की है.

ऐसा भी नहीं है कि गोमुख के बंद हो जाने से गंगा में पानी का आना बंद हो गया हो. दरअसल गोमुख का क्षेत्रफल 28 किलोमीटर में फैला हुआ है. ये समुद्रतल से 4000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसमें गंगोत्री के अलावा नन्दनवन, सतरंगी और बामक जैसे कई छोटे-छोटे ग्लेशियर मौजूद हैं.

फर्क बस ये है कि इस बार गंगा की मुख्य धारा नन्दन वन वाले ग्लेशियर से निकल रही है. जानकारों के मुताबिक इस बार गोमुख में काफी बर्फबारी हुई है. सावन के महीने में कांवड़ लेकर गंगा जल लेने वाले भी बड़ी तादाद में यहां आ रहे हैं. गोमुख का बंद होना सबको हैरान कर रहा है और गंगोत्री पर शोध करने वाले वैज्ञानिक इसकी पड़ताल करने में जुटे हैं.

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